Kavitha, हरियाणा के 15 जिलों के प्रबुद्ध नागरिकों, कृषि वैज्ञानिकों, किसान संगठनों एवं उपभोक्ताओं ने हरियाणा के मुख्य मंत्री और कृषि मंत्री को भेजे ज्ञापन में उनसे अपील की है कि वे यह सुनिश्चित करें की किसानों और उपभोक्ताओं पर जीएम सरसों न थोपी जाय। पिछले कुछ वर्षों से हरियाणा ने जीएम फसलों को परीक्षण हेतु भी राज्य में लगाने की अनुमति नहीं दी है परंतु अगर जीएम सरसों का बीज एक बार बाज़ार में आ जाता है तो हरियाणा सरकार की जीएम को बढ़ावा न देने की नीति प्रभावहीन हो जाएगी। उपभोक्ता के पास भी जीएम सरसों और गैर-जीएम सरसों के बीच चुनाव करने का कोई मौका नहीं रहेगा क्योंकि दोनों को अलग अलग रखना असंभव है। जैविक किसानों के लिए तो जीएम सरसों के अनुमोदन का अर्थ होगा जैविक किसानी की तत्काल निर्मम हत्या क्योंकि भारत सहित पूरी दुनिया में जैविक खेती में जीएम फ़सलों के प्रयोग पर कानूनन रोक है। परन्तु एक बार जीएम बीज पर्यावरण में फैलने के बाद जैविक किसानों का इस से बच पाना नामुमकिन है। जब पड़ोस में जीएम फ़सलों को बोया जा रहा हो तो कानूनी रूप से भी और वास्तव में भी जैविक खेती संभव नहीं है क्योंकि इन जीएम फ़सलों द्वारा अन्य क़िस्मों का सम्मिश्रण/प्रदूषण अवश्यंभावी है।